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मध्यकालीन भारत पर विदेशी आक्रमण

मध्यकालीन भारत पर विदेशी आक्रमण

मुस्लिम अनुयायियों का पवित्र तीर्थ स्थल ‘मक्का’ सऊदी अरब में स्थित है I इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मुहम्मद साहब का जन्म 29 अगस्त 570 ई. को मक्का में हुआ था। इनकी मृत्यु 632 ई. में हुई थी। ऋग्वेद में उल्लिखित ‘भरत’ कबीले के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा। परंपरानुसार दुष्यंत के पुत्र भरत के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा है। कुछ विद्वानों के अनुसार, ऋषभदेव के ज्येष्ठ पुत्र, भरत के नाम पर भी देश का नाम भारत पड़ा है। ईरानियों ने इस देश को ‘हिंदुस्तान’ कहकर संबोधित किया है तथा यूनानियों ने इसे ‘इंडिया’ से संबोधित किया है। हिंद (भारत) की जनता के संदर्भ में ‘हिंदू’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग अरबों द्वारा किया गया था।

I. भारत पर अरबों का आक्रमण

भारत पर प्रथम सफल मुस्लिम आक्रमण 712 ई. में अरब आक्रमणकारी मुहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में हुआ था। मुहम्मद-बिन कासिम से पूर्व उबैदुल्लाह के नेतृत्व में एक अभियान दल भेजा गया, परंतु वह पराजित हुआ और मारा गया। इराक के हाकिम अल-हज्जाज ने मुहम्मद-बिन कासिम के नेतृत्व में अरबों को सिंघ पर आक्रमण करने के लिए भेजा। अरबों के आक्रमण के समय सिंघ पर दाहिर सेन का शासन था। बहुत संघर्ष के बाद अरबों ने 712 ई. में सिंध पर विजय प्राप्त करने में सफल हुए। सिंघ पर अरबों द्वारा विजय की जानकारी फारसी ग्रंथ ‘चचनामा’ से मिलती है।

I. भारत पर अरबों का आक्रमण
क्रम घटनाक्रम घटना विवरण
1.
सिंध पर 711 ई. में
भारत पर सर्वप्रथम मुस्लिम आक्रमण उबैदुल्लाह के नेतृत्व में (असफल रहा)
2.
सिंध पर 711 ई. में
बुदैल के नेतृत्व में दूसरा असफल प्रयास
3.
सिंध पर 712 ई. में, प्रथम सफल मुस्लिम आक्रमण (बी.डी. महाजन के अनुसार 711 ई.)
पैगम्बर मोहम्मद साहब के उत्तराधिकारी उमैयद खलीफा के सेनापति मोहम्मद बिन कासिम (प्रथम अरब मुस्लिम) के सिंध के शासक दाहिर सेन को पराजित कर दिया I

विशेष नोट- बी.डी. महाजन के अनुसार, भारत पर प्रथम सफल मुस्लिम आक्रमण मुहम्मद बिन कासिम ने 711 ई. में किया I जबकि हरिशचंद वर्मा के अनुसार, यह वर्ष 712 ई. है I

II. भारत पर तुर्कों का आक्रमण

गजनी वंश का संस्थापक अल्पतगीन था। गजनी वंश को यामीनी वंश भी कहा जाता है। अल्पतगीन ने गजनी को अपनी राजधानी बनाया। 998 ई. में महमूद गजनी का शासक बना। सर हेनरी इलियट के अनुसार, महमूद ने भारत पर 17 बार आक्रमण किए थे। भीमदेव प्रथम (1022-63 ई.) के शासनकाल में महमूद गजनवी ने 1026 ई. में सोमनाथ के मंदिर को लूटने के साथ-साथ बहुत क्षति पहुचाई ।
महमूद गजनवी ने चंदेलों पर प्रथम आक्रमण 1019-20 ई. में किया था। उस समय चंदेल वंश का शासक विद्याधर था, जो अपने वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था। विद्याधर अकेला ऐसा हिंदू शासक था, जिसने मुसलमानों का सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया।
999 से 1027 ई. के बीच महमूद गजनी (या गजनवी) ने भारत पर 17 बार आक्रमण किए थे I परंतु इन आक्रमणों का उद्देश्य भारत में स्थायी मुस्लिम शासन की स्थापना करना नहीं था, बल्कि मात्र लूट-पाट करना था। महमूद गजनवी को ‘यमीन-उद्-दौला’ तथा ‘आमीन-उल-मिल्लाह’ की उपाधियां बगदाद के खलीफा अल कादिर बिल्लाह ने प्रदान कीं थी I
महमूद गजनवी एक शिक्षित एवं सुसभ्य शासक था। वह विद्वानों एवं कलाकारों का सम्मान करता था। उसने अपने समय के महान विद्वानों को गजनी में एकत्रित किया था। उसका दरबारी इतिहासकार उत्बी था। उसने ‘किताब-उल-यामिनी’ अथवा ‘तारीख-ए-यामिनी’ नामक ग्रंथ की रचना की। इसके अतिरिक्त उसके दरबार में दर्शन ज्योतिष और संस्कृत का उच्चकोटि का विद्वान अलबरूनी, ‘तारीख-ए-सुबुक्तगीन’ का लेखक बैहाकी (जिसे इतिहासकार लेनपूल ने ‘पूर्वी पेप्स’ की उपाधि दी थी), फारस का कवि उजारी, खुरासानी विद्वान तुसी एवं उन्सुरी, विद्वान अस्जदी और फार्रुखी प्रमुख व्यक्ति थे।
फिरदौसी ने ‘शाहनामा’ की रचना की थी। यह महमूद गजनवी के दरबार का प्रसिद्ध विद्वान कवि था। इसे पूर्व के होमर की उपाधि दी जाती है। फरिश्ता (1560-1620 ई.) ने तारीख-ए-फरिश्ता या गुलशन -ए इब्राहिमी नामक किताब लिखी थी। इसका पूरा नाम मुहम्मद कासिम हिंदू शाह था। इसकी किताब तारीख-ए-फरिश्ता बीजापुर के शासक इब्राहिम आदिल शाह को समर्पित थी।
महमूद गजनी के साथ प्रसिद्ध इतिहासकार अलबरूनी 11वीं सदी में भारत आया था। उसकी पुस्तक ‘किताब-उल-हिंद’ से तत्कालीन भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक स्थिति की जानकारी मिलती है। पुराणों का अध्ययन करने वाला प्रथम मुसलमान अलवरूनी था। उसका जन्म 973 ई. में हुआ था। वह खीवा (प्राचीन ख्वारिज्म) देश का रहने वाला था। अलबरूनी मात्र इतिहासकार ही नहीं था, उसके ज्ञान और रुचियों की व्याप्ति जीवन के अन्य क्षेत्रों तक थी, जैसे- खगोलविज्ञान, भूगोल, तर्कशास्त्र, ओषधि विज्ञान, गणित तथा धर्म और धर्मशास्त्र ।
उसने संस्कृत का अध्ययन किया और अनेक संस्कृत रचनाओं का उपयोग किया, जिसमें ब्रह्मगुप्त, बलभद्र तथा वाराहमिहिर की रचनाएं विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। उसने जगह-जगह भगवद्गीता, विष्णु पुराण तथा वायु पुराण को उद्धृत किया है। अलबरूनी ने अरबी भाषा में ‘तहकीक-ए-हिंद’ की रचना की थी। सर्वप्रथम एडवर्ड साची ने इस ग्रंथ का अनुवाद अरवी भाषा से अंग्रेजी भाषा में किया। ‘रजनीकांत शर्मा’ द्वारा इसका अनुवाद हिंदी में किया गया।

II. भारत पर तुर्कों का आक्रमण
क्रम वर्ष आक्रमण का परिणाम
1.
986 ई. में
भारत पर प्रथम तुर्क आक्रमण 986 ई. में गजनी के शासक सुबुत्तगीन ने जसपाल के विरुद्ध किया था I
2.
1001 ई. से 1027 ई.
महमूद गजनी (गजनवी) ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया था I 1025 ई. में सोमनाथ शिव मंदिर (गुजरात) पर आक्रमण I
3.
1175 ई. से 1206 ई.
1192 ई. में तराइन के द्वितीय युद्ध में मोहम्मद गोरी द्वारा पृथ्वीराज चौहान की पराजय के बाद भारत में मुस्लिम शक्ति की स्थापना हुई। गोरी को भारत में मुस्लिम साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है I (भारत में तुर्की राज्य का संस्थापक – शहाबुद्दीन मुहम्मद गोरी)
रचनायें रचनाकार
“तहकीक-ए-हिंद” या किताब-उल-हिंद
अलबरूनी, पुराणों का अध्ययन करने वाला प्रथम मुसलमान
किताब-उल-यामिनी अथवा तारीख-ए-यामिनी
उत्बी, महमूद गजनवी का दरबारी इतिहासकार
तारीख-ए-सुबुक्तगीन
बैहाकी (इतिहासकार लेनपूल ने ‘पूर्वी पेप्स’ की उपाधि दी)
शाहनामा
फिरदौसी, पूर्व के होमर की उपाधि; महमूद गजनवी के दरबार का प्रसिद्ध विद्वान कवि
तारीख-ए-फरिश्ता या गुलशन-ए-इब्राहिमी
फरिश्ता (1560-1620 ई.), पूरा नाम मुहम्मद कासिम हिंदू शाह (बीजापुर के शासक इब्राहिम आदिल शाह)

महमूद गजनवी ने संस्कृत मुद्रालेख के साथ चांदी के सिक्के जारी किए थे। महमूद गजनवी द्वारा जारी चांदी के सिक्कों के दोनों तरफ दो अलग-अलग भाषाओं में मुद्रालेख अंकित थे। ऊपरी भाग पर अंकित मुद्रालेख अरबी भाषा में तथा दूसरी तरफ अंकित लेख संस्कृत भाषा (देवनागरी लिपि) में था। सिक्के के मध्य भाग में संस्कृत भाषा में लिखा था- “अवयक्तमेकम मुहम्मद अवतार नुरूपति महमूद”।
मध्य एशिया के शासक शिहाबुद्दीन मुहम्मद गोरी ने 1192 ई. में उत्तर भारत को जीता। शिहाबुद्दीन मुहम्मद गोरी का प्रथम आक्रमण 1175 ई. में मुल्तान पर हुआ और 1205 ई. तक वह बराबर साम्राज्य विस्तार अथवा पूर्वविजित राज्य की रक्षा के लिए भारत पर चढ़ाई करता रहा।
मुहम्मद गोरी ने 1178 ई. में गुजरात पर आक्रमण किया I किंतु मूलराज-II या भीम-II ने अपनी योग्य एवं साहसी विधवा मां नायिका देवी के नेतृत्व में आबू पर्वत के निकट गोरी को युद्ध में परास्त कर दिया I यह गोरी की भारत में पहली पराजय थी। 1191 ई. में पृथ्वीराज चौहान और गोरी के मध्य तराइन का प्रथम युद्ध हुआ । इस युद्ध में मुहम्मद गोरी की पराजय हुई। 1192 ई. में तराइन के द्वितीय युद्ध में मोहम्मद गोरी द्वारा पृथ्वीराज चौहान की पराजय के बाद भारत में मुस्लिम शक्ति की स्थापना हुई। यह युद्ध भारतीय इतिहास मेंअत्यधिक महत्वपूर्ण था। 1194 ई. में चंदावर के युद्ध में मुहम्मद गोरी ने कन्नौज के गहड़वाल राजा जयचंद को पराजित किया था। चंदावर, वर्तमान फिरोजाबाद जिले में यमुना तट पर स्थित है। मुहम्मद गोरी के सिक्कों पर देवी लक्ष्मी की आकृति बनी है और दूसरे तरफ कलमा (अरबी में) ख़ुदा हुआ है।

मुहम्मद गोरी द्वारा लड़ें गए प्रमुख युद्ध
युद्ध का नाम वर्ष युद्ध का परिणाम
गुजरात का युद्ध
1178 ई.
मूलराज-II या भीम-II ने आबू पर्वत के निकट गोरी को पराजित किया
तराइन का प्रथम युद्ध
1191 ई.
पृथ्वीराज चौहान द्वारा मोहम्मद गोरी की पराजय
तराइन का द्वितीय युद्ध
1192 ई.
मोहम्मद गोरी द्वारा पृथ्वीराज चौहान की पराजय
चंदावर का युद्ध
1194 ई.
मुहम्मद गोरी ने कन्नौज के गहड़वाल राजा जयचंद को पराजित किया

गोरी की विजयों के बाद शीघ्र ही उत्तर भारत में इक्ता प्रथा स्थापित हो गई। 1192 ई. में तराइन के द्वितीय युद्ध में कुतुबुद्दीन ऐबक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वस्तुतः 1192-1206 ई. तक उसने गोरी के प्रतिनिधि के रूप में उत्तरी भारत के विजित भागों का प्रशासन संभाला। इस अवधि में ऐबक ने उत्तरी भारत में तुर्की शक्ति का विस्तार भी किया।
बिहार और उत्तरी बंगाल की विजय के बारे में गोरी अथवा ऐबक ने सोचा भी न था। इस कार्य को गोरी के एक साधारण दास इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी ने किया। उसने 1193 से 1202 ई. के मध्य में बिहार की विजय की तथा नालंदा एवं विक्रमशिला को तहस-नहस कर राजधानी उदन्तपुर पर कब्जा कर लिया। उसने 1198 से 1203 ई. के मध्य बंगाल पर आक्रमण किया। उस समय वहां का शासक लक्ष्मणसेन था। वह बिना युद्ध किए ही भाग निकला। तुर्की सेना ने राजधानी नदिया में प्रवेश कर बुरी तरह लूट-पाट की। राजा की अनुपस्थिति में नगर ने आत्मसमर्पण कर दिया। लक्ष्मणसेन ने भाग कर पूर्वी बंगाल में शरण ली और वहीं कुछ समय तक शासन करता रहा। इख्तियारुद्दीन ने भी संपूर्ण बंगाल को जीतने का प्रयत्न नहीं किया। इख्तियारुद्दीन ने लखनौती को अपनी राजधानी बनाया। प्रो. हबीब के अनुसार, तुर्कों द्वारा उत्तर-पश्चिम की विजय ने क्रमशः ‘शहरी क्रांति’ और ‘ग्रामीण क्रांति’ को जन्म दिया।

मुहम्मद गोरी का भारत पर आक्रमण
वर्ष राज्य शासक परिणाम
1175 ई.
मुल्तान
करमाथी शासक
विजय
1176 ई.
उच्छ
करमाथी शासक
विजय
1178 ई.
अन्हिलवाड़, गुजरात
चालुक्य रानी नाइक देवी (अल्पवयस्क भीम-II)
पराजय
1179 ई.
पेशावर
मलिक खुसरो
विजय
1181 ई.
लाहौर
मलिक खुसरो
विजय
1182 ई.
देवल व सिंध
सुम्र शासक
विजय
1185 ई.
स्यालकोट
मलिक खुसरो
विजय
1186 ई.
लाहौर
मलिक खुसरो
विजय
1189 ई.
भटिंडा
चौहान सूबेदार
विजय
1191 ई.
तराइन का प्रथम युद्ध
पृथ्वीराज चौहान
पराजय
1192 ई.
तराइन का द्वतीय युद्ध
पृथ्वीराज चौहान
विजय
1193 ई.
हांसी, कुहराम, सरसुतह व दिल्ली
NA
NA
1194 ई.
कन्नौज (चंदावर) का युद्ध
जयचन्द्र
विजय
1195-96 ई.
बयाना
कुमार पाल
विजय
1196 ई.
ग्वालियर
सुलक्षणपाल
विजय
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