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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना

एलन आक्टेवियन ह्यूम (ए.ओ. ह्यूम) भारतीय सिविल सेवा के सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी थे। वह शिमला में बस गए थे। 1884 ई. में इन्होंने भारतीय राष्ट्रीय संघ (Indian National Union) की स्थापना की थी I भारतीय राष्ट्रीय संघ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अग्रदूत था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 ई. में ए. ओ. ह्यूम द्वारा की गई थी। इसका पहला अधिवेशन 28 दिसंबर, 1885 को बंबई स्थित गोकुलदास तेजपाल संस्कृत विद्यालय में आयोजित किया गया। इसी सम्मेलन में दादाभाई नौरोजी के सुझाव पर भारतीय राष्ट्रीय संघ का नाम बदलकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कर दिया गया। इसमें कुल 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अधिवेशन की अध्यक्षता व्योमेश चंद्र बनर्जी (डब्ल्यू.सी. बनर्जी) ने की थी I इसके प्रथम महासचिव स्वयं ए.ओ. ह्यूम थे। वह 1906 तक इस पद पर रहे और 1912 में उनकी मृत्यु हो गयी I

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC)
  1.  स्थापना: 28 दिसंबर, 1885 (सोमवार)
  2. स्थलः गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय, ग्वालिया टैंक (बम्बई)
  3. संस्थापक और प्रथम सचिव: एलन ओक्टेवियन ह्यूम (स्काटलैंड निवासी)
  4. उपनाम: हरमिट ऑफ शिमला
  5. प्रथम अध्यक्षः व्योमेश चन्द्र बनर्जी
  6. भारत का वायसराय: लार्ड डफरिन (तत्कालीन)
  7. आरंभिक नामः भारतीय राष्ट्रीय संघ (Indian National Union) जिसे दादाभाई नौरोजी के सुझाव पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress – INC) किया गया।
  8. प्रथम अधिवेशन के सदस्यों की संख्या: 72 प्रतिनिधि ।
  9. भारतीय राष्ट्रीय संघ (Indian National Union) की स्थापना का विचार सर्वप्रथम लॉर्ड डफरिन के दिमाग में आया था।
प्रथम अध्यक्ष व सचिव
व्योमेश चंद्र बनर्जी
प्रथम अध्यक्ष: व्योमेश चंद्र बनर्जी
ए.ओ. ह्यूम
प्रथम सचिव: ए.ओ. ह्यूम
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना पर विद्वानों का मत
  1. ए. ओ. ह्यूम के जीवनी लेखक विलियम वेडरबर्न ने लिखा है कि भारतीयों के असंतोष से बचने के लिए अंग्रेजों को एक अभयद्वीप (सेफ्टीवॉल) की आवश्यकता थी I इसी उद्देश्य से कांग्रेस की स्थापना की गयी।
  2. लाला लाजपत राय ने अपनी पुस्तक यंग इंडिया में लिखा कि भारतीय कांग्रेस की स्थापना का मुख्य लक्ष्य ब्रिटिश साम्राज्य को छिन्न-भिन्न होने से बचाना था
  3. रजनीपाम दास के अनुसार शिशु कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश सरकार की एक पूर्व निश्चित गुप्त योजना थी
  4. ऐनी बेसेन्ट के अनुसार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का जन्म मातृभूमि की रक्षा हेतु 17 प्रमुख भारतीयों तथा ए.ओ. ह्यूम द्वारा किया गया।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885 ई.) के समय भारत का वायसराय लॉर्ड डफरिन (कार्यकाल 1884-1888 ई.) था। उसने कांग्रेस का यह कहकर मजाक उड़ाया था कि यह सूक्ष्मदर्शी अल्पसंख्यकों की संस्था है। कांग्रेस का दूसरा अधिवेशन 1886 ई. में कलकत्ता में हुआ। इसकी अध्यक्षता दादाभाई नौरोजी ने की। इसके अतिरिक्त दादाभाई नौरोजी ने 1893 ई. में लाहौर अधिवेशन तथा वर्ष 1906 में कलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षता की थी।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सर्वप्रथम मुस्लिम अध्यक्ष होने का गौरव बदरुद्दीन तैयबजी को है I ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 27-30 दिसंबर, 1887 को मद्रास में संपन्न हुए तीसरे अधिवेशन के अध्यक्ष पद के लिए चुने गए। इस अधिवेशन में कुल 607 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसी सम्मेलन में पहली बार कांग्रेस के कार्य संचालन का भार प्रतिनिधियों की एक कमेटी के हाथों में सौंपा गया। यह कमेटी आगे चलकर विषय निर्धारिणी समिति कहलाई।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम निर्वाचित यूरोपीय अध्यक्ष जॉर्ज यूले थे। इन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इलाहाबाद में संपन्न चतुर्थ अधिवेशन (1888 ई.) की अध्यक्षता की थी। कांग्रेस के लिए समर्थन प्राप्त करने के उद्देश्य से जुलाई, 1889 ई. में लंदन में विलियम डिग्बी की अध्यक्षता में ब्रिटिश कमेटी ऑफ इंडिया की स्थापना की गई। यह इंडियन नेशनल कांग्रेस की एक समिति थी। इस समिति ने भारतीय मामलों से अंग्रेजों को अवगत कराने के उद्देश्य से इंडिया नामक साप्ताहिक पत्र निकाला।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में प्रथम अध्यक्ष का नाम अधिवेशन वर्ष व स्थल
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष
व्योमेश चंद्र बनर्जी
28 दिसंबर, 1885 को बंबई
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम पारसी अध्यक्ष
दादाभाई नौरोजी
1886 ई. में कलकत्ता में
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष
बदरुद्दीन तैयबजी
(27-30) दिसंबर, 1887 को मद्रास में
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम निर्वाचित यूरोपीय अध्यक्ष
जॉर्ज यूले
1888 ई. को इलाहबाद में
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला/ प्रथम विदेशी महिला अध्यक्ष
श्रीमती एनी बेसेंट
वर्ष 1917, कलकत्ता में
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम कार्यकारी अध्यक्ष
हकीम अजमल खां
1921, अहमदाबाद; चितरंजन दास जेल में बन्द थे I
कांग्रेस की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष
सरोजिनी नायडू
वर्ष 1925, कानपूर में
कांग्रेस की प्रथम भारतीय मूल की विदेशी महिला अध्यक्ष
नलिनी सेन गुप्ता
वर्ष 1933, कलकत्ता
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का सबसे युवा अध्यक्ष (1940-1945) तक लगातार छह बार
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
1923, दिल्ली (विशेष अधिवेशन), वर्ष 1940, रामगढ़ (महाराष्ट्र)
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय कांग्रेस का अध्यक्ष
जे. बी. कृपलानी
नवंबर 1946, मेरठ

लाला लाजपत राय, उपाधि- ‘शेरे पंजाब’ (पंजाब का सिंह), वर्ष 1920 में कलकत्ता के विशेष अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने I इस अधिवेशन में असहयोग का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया। श्रीमती एनी बेसेंट आंग्ल-आयरलैंड कुल से थीं I वे वर्ष 1907 से 1933 तक थियोसोफिकल सोसाइटी की प्रधान रहीं I इन्होने वर्ष 1916 में होमरूल लीग का गठन किया I ये वर्ष 1917 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष बनीं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 27वां अधिवेशन दिसंबर, 1912 में बांकीपुर (पटना, बिहार) में संपन्न हुआ। इस अधिवेशन की अध्यक्षता आर. एन. मुबोलकर ने की। इसी अधिवेशन में ए. ओ. ह्यूम को कांग्रेस का पिताकहा गया।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग दोनों ने वर्ष 1916 में लखनऊ में अधिवेशन का आयोजन किया। कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के बीच लखनऊ समझौता हुआ I यह “कांग्रेस लीग योजना” तथा लखनऊ पैक्ट के नाम से जाना जाता है। इसी अधिवेशन में उग्रपंथियों को, जिन्हें पिछले नौ वर्ष से कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया था, पुनः कांग्रेस में शामिल किया गया। कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन की अध्यक्षता अंबिका चरण मजूमदार ने की थी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन, 1916 में बाल गंगाधर तिलक ने कहा था- स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर रहूंगा”

गरम दल देश के तीन भागों में अधिक सक्रिय था-
  1. महाराष्ट्र दल – बाल गंगाधर तिलक (उपाधि- लोकमान्य)
  2. बंगाल दल – विपिन चन्द्र पाल
  3. पंजाब दल – लाला लाजपत राय (‘शेरे पंजाब’ (पंजाब का सिंह), पंजाब केसरी)

1888 ई. में सर सैयद अहमद खां ने एक संयुक्त भारतीय राजभक्त समा (United Indian Patriotic Association) बनाई I जिसका उद्देश्य कांग्रेस के प्रचार को निष्फल करना और लोगों को कांग्रेस से दूर रखना था। वर्ष 1900 में लार्ड कर्जन ने कहा था- कांग्रेस अब लड़खड़ा रही है और जल्द ही गिरने वाली है। मेरा सबसे बड़ा मकसद भी यही है कि मेरे भारत प्रवास के दौरान ही इस पार्टी का अंत हो जाए”। भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को समाप्त करने का सुझाव दिया था। लॉर्ड विलिंगटन ने कांग्रेस के 30वें अधिवेशन में भाग लिया था। इस दौरान वह बंबई के गवर्नर थे । यह अधिवेशन बंबई में वर्ष 1915 में आयोजित किया गया।
महात्मा गांधी ने केवल एक बार 1924 में कांग्रेस के बेलगांव अधिवेशन की अध्यक्षता की थी। सरोजिनी नायडू (1879-1949 ई.) प्रख्यात कवयित्री और राष्ट्रवादी नेत्री थीं। वर्ष 1925 में कानपुर में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 40वें वार्षिक अधिवेशन में वह कांग्रेस की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष बनीं। वर्ष 1947-49 में यह उत्तर प्रदेश की राज्यपाल भी रहीं ।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अंग्रेज अध्यक्ष
  1. जार्ज यूल: 1888, इलाहाबाद (चौथा अधिवेशन)
  2. सर विलियम वेडरबर्न: 1889, 1910 (बम्बई, इलाहाबाद); यूरोपीय जो 2 बार अध्यक्ष बने ।
  3. अल्फ्रेड बेलः 1894 (मद्रास)
  4. सर हेनरी काटनः 1904 (बम्बई)
  5. ऐनी बेसेन्ट: 1917 (कलकत्ता)

नोट- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद महात्मा गांधी ने कांग्रेस को समाप्त करने का सुझाव दिया था।

कांग्रेस की महिला अध्यक्षा
  1. ऐनी बेसेन्ट: 1917 (कोलकाता) प्रथम महिला अध्यक्ष/ प्रथम विदेशी महिला अध्यक्ष ।
  2. सरोजनी नायडूः 1925 (कानुपर) प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष ।
  3. नलिनी सेन गुप्ताः 1933 (कोलकाता) – विदेशी महिला (PIO) अध्यक्ष (भारतीय मूल की)
  4. इंदिरा गांधी: 1978-1984 दो कार्यकाल
  5. सोनिया गांधी: 1998-2017 लम्बा कार्यकाल

लगातार 2 बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष-

  1. रास बिहारी बोस: 1907, सूरत; 1908, मद्रास
  2. जवाहर लाल नेहरू (भारत रत्न 1955 ) : 1936, लखनऊ; 1937, फैजपुर (महाराष्ट्र)
  3. सुभाष चन्द्र बोस: 1938, हरिपुरा (गुजरात); 1939, त्रिपुरी (मध्य प्रदेश)

नोट- केवल एक मात्र केंद्र शासित क्षेत्र दिल्ली में INC का अधिवेशन 3 बार (1918, 1923 व 1932) आयोजन हुआ था ।

जवाहरलाल नेहरू ने वर्ष 1929 में लाहौर, अप्रैल, 1936 में लखनऊ तथा दिसंबर, 1936 में फैजपुर अधिवेशन की अध्यक्षता की। कांग्रेस का इक्यावनवां अधिवेशन 19-21 फरवरी, 1938 के दौरान गुजरात के हरिपुरा में संपन्न हुआ था। इस अधिवेशन की अध्यक्षता सुभाष चंद्र बोस ने की थी। इस अधिवेशन में राष्ट्रीय नियोजन समिति का गठन किया गया I पं. जवाहरलाल नेहरू को इसका अध्यक्ष बनाया गया। वर्ष 1940- 1946 तक अबुल कलाम आजाद कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। जे. बी. कृपलानी को कांग्रेस के चौवनवें अधिवेशन (नवंबर, 1946, मेरठ) का अध्यक्ष चुना गया था I वह आजादी के समय भी अध्यक्ष रहे। कांग्रेस के पचपनवें अधिवेशन (दिसंबर, 1948, जयपुर) की अध्यक्षता डॉ. पट्टाभि सीतारमैया ने की थी।
रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा मूल रूप से बंगला में रचित और संगीतबद्ध ‘जन-गण-मन’ के हिंदी संस्करण को संविधान सभा ने भारत के राष्ट्रगान के रूप में 24 जनवरी, 1950 को अपनाया था। यह सर्वप्रथम 27 दिसंबर, 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था। बाल गंगाधर तिलक ने अंतिम रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अमृतसर अधिवेशन, 1919 में भाग लिया था।
कांग्रेस के संबंध में दिए गए वक्तव्य
वायसराय कर्जन “कांग्रेस लड़खड़ाकर गिर रही है, भारत में रहते हुए मेरी इच्छा है। कि मैं इसके शांतिपूर्ण अवसान में अपना सहयोग दे सकूं”।
लाला लाजपत राय कांग्रेस लॉर्ड डफरिन के दिमाग की उपज है।
अश्वनी कुमार दत्त कांग्रेस के सम्मेलन तीन दिनों का तमाशा है।
लाला लाजपत राय कांग्रेस के सम्मेलन शिक्षित भारतीयों के वार्षिक राष्ट्रीय मेले हैं।
बिपिन चन्द्र पाल कांग्रेस एक प्रकार की याचना करने वाली संस्था हैं I
बाल गंगाधर तिलक यदि वर्ष में एक बार मेढ़क की तरह टर्रायेंगे, तो कुछ नहीं मिलेगा ।
पट्टाभि सीतारमैय्या कांग्रेस के स्थापना संबंधी कारकों पर पर्दा पड़ा है।
लार्ड डफरिन कांग्रेस संभ्रांत लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन हैं I
बंकिम चन्द्र चटर्जी कांग्रेस के लोग पदों के भूखे हैं।
विशेष नोट: स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) संगठन को समाप्त करने का सुझाव दिया था।

विशेष नोट- वर्ष 1932 के दिल्ली अधिवेशन में मदन मोहन मालवीय को अध्यक्ष चुना गया I लेकिन वे उस समय कारावास में थे I फलतः अमृत रणछोड़दास सेठ को कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया, साथ ही एम.ए. अंसारी, एस.एस. कार्वाशर, राजेंद्र प्रसाद, सरोजनी नायडू तथा अबुल कलाम आजाद भी कार्यकारी अध्यक्ष बने थे। 1933 के अधिवेशन के अध्यक्ष भी मदन मोहन मालवीय चुने गये I किंतु उनके जेल में होने के कारण नलिनी सेन गुप्ता को कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया। 1930, 1935 तथा 1940-1945 के मध्य कांग्रेस अधिवेशन आयोजित नहीं किये गये ।

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